यूपी में पंचायत चुनाव बना कोरोना का सबसे बड़ा कैरियर, 4-5 गुना तेज हो गई है रफ्तार


लखनऊ: पंचायत चुनाव के बाद कोरोना के मामले कई जिलों में काफी तेजी से बढ़े हैं. सरकार को इस बात की जानकारी थी लेकिन उसके बावजूद भी शायद उसकी प्राथमिकता पंचायत चुनाव थे. उत्तर प्रदेश में कोरोना का संक्रमण बेकाबू रफ्तार से बढ़ रहा है. सरकार को इस बात की जानकारी भी है. लेकिन उसके बावजूद पंचायत चुनाव सरकार की प्राथमिकता रहा. अब आंकड़े ही गवाही दे रहे हैं कि जहां-जहां पंचायत चुनाव हुए वहां कोरोना की रफ्तार 4-5 गुना तेज हो गई है.

आखिर कैसे पंचायत चुनाव कोरोना का सबसे बड़ा कैरियर बना?

पंचायत चुनाव के प्रथम चरण में 15 अप्रैल को प्रदेश के 18 जिलों में वोटिंग हुई. इनमें से कुछ जिलों के आंकड़ों को हमने चुनाव के पहले और चुनाव के बाद का अध्ययन किया. जिसमें यह बात साफ निकल कर सामने आई कि चुनाव से पहले कोरोना के मामले कम थे और चुनाव होने के बाद कोरोना के मामलों में 4-5 गुना इजाफा हुआ है.

सबसे पहले बात प्रयागराज की यहां अगर 11 से लेकर 13 अप्रैल तक के कोरोना के आंकड़ों को देखें तब मरीजों की संख्या इन 3 दिनों में 4716 थी. जो चुनाव के बाद 16 अप्रैल से 18 अप्रैल के आंकड़ों में बढ़कर 5446 हो गई.

अगर बरेली की बात करें तो यहां चुनाव से पहले 11 से 13 अप्रैल के बीच कुल 668 कोरोना के मरीज सामने आए थे. जबकि चुनाव के बाद 16 से 18 अप्रैल के बीच मरीजों की संख्या बढ़कर 1824 हो गई. इसी तरह अगर महोबा की बात करें तो चुनाव से पहले 11 से लेकर 13 अप्रैल के बीच यहां केवल 57 मरीज मिले थे  जबकि चुनाव के बाद 16 से लेकर 18 अप्रैल के बीच 241 मरीज सामने आए.

16 से 18 अप्रैल के बीच इन जिलों में बढ़े मामले

वहीं संत कबीर नगर की बात करें तो 11 से 13 अप्रैल के बीच चुनाव से पहले कुल 109 मरीज मिले थे जबकि चुनाव के बाद 16 से 18 अप्रैल के बीच 233 मरीज हो गए. रामपुर में 11 से 13 अप्रैल के बीच चुनाव से पहले 106 मरीज मिले थे. तो वहीं चुनाव के बाद 16 से 18 अप्रैल के बीच मरीजों की संख्या बढ़कर 437 हो गई.

अयोध्या में 11 से 13 अप्रैल के बीच 314 मरीज मिले थे तो वहीं 16 से 18 अप्रैल के बीच 719 मरीज हो गए. इसी तरह अगर आगरा की बात करें तो यहां 11 से 13 अप्रैल के बीच कुल 486 मरीज सामने आए थे. तो वहीं चुनाव के बाद आगरा में 16 से 18 अप्रैल के बीच 1113 मरीज सामने आ गए. जबकि कानपुर नगर की अगर बात करें तो यहां 11 से 13 अप्रैल के बीच चुनाव से पहले कुल 2863 मामले सामने आए थे जबकि 16 से 18 अप्रैल के बीच कानपुर नगर में कोरोना मरीजों की संख्या 5068 हो गई.

ये आंकड़े अपने आप में गवाही दे रहे हैं कि कैसे पंचायत चुनाव कोरोना का सबसे बड़ा कैरियर बनकर सामने आया है. यानी पंचायत चुनाव के बाद कोरोना के मामले इन जिलों में काफी तेजी से बढ़े हैं. सरकार को इस बात की जानकारी थी लेकिन उसके बावजूद भी शायद उसकी प्राथमिकता पंचायत चुनाव थे.

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Milan Tomic

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